जल्दीबाजी में जांच कराने से नहीं लगेगा कोरोना का पता: नए अध्ययन में खुलासा
सेहतराग टीम
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जल्दीबाजी में जांच कराने से कोरोना वायरस का पता नहीं चल सकता है। नतीजा गलत आने का अंदेशा ज्यादा रहता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमण के दौरान बहुत जल्दी कोरोना का टेस्ट कराने से नतीजा नेगेटिव आ सकता है। लक्षण दिखने के तीन दिन बाद जांच कराना बेहतर हो सकता है। इससे सही नतीजा सामने आ सकता है।
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एनल्ज ऑफ इंटरनल मेडिसिन में छपे समीक्षा रिसर्च के अनुसार, यह निष्कर्ष आरटी-पीसीआर टेस्ट पर किये सात अध्ययनों डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। जांच की तकनीक रिवर्स ट्रांसस्क्रिप्टेज-पॉलीमेरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्टिंग के जरिए नमूनों में वायरल जेनेटिक मेटेरियल की पड़ताल की जाती है।
अमेरिका की जॉन हॉपकिंग्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अस्पतालों में भर्ती किए गए रोगियों समेत कुल 1,330 स्वैब नमूनों का विश्लेषण किया। यूनिवर्सिटी की शोधकर्ताओं लॉरेन कुचिरिका ने कहा, 'किसी व्यक्ति का नेगेटिव टेस्ट आना इस बात की गारंटी नहीं है कि वह संक्रमित नहीं है।'
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